ये कोरोना, हमेशा रहेगा !

सत्‍यम् लाइव, 9 मई, 2020, दिल्‍ली।। जी हॉ, ये एक बडा ही उलझने वाला प्रश्‍न है और अब तक इस पर कोई भी नहीं बोल रहा है। भारत का हर बडा डॉक्‍टर, आईएस अधिकारी तथा हर बडा और समझदार नेता इस बात को कई बार कह चुका है कि हमें कोरोना के साथ रहना सीखना होगा। हर बार ये बात मेरे गले नहीं उतरी है क्‍योंकि भारत की भूमि पर अगर कोई वायरस जीवित रह जाता है तो ये तो सूर्य देव का अपमान है। यूरोप और अमेरिका में ऐसा हो सकता है परन्‍तु भारत की भूमि पर ये सम्‍भव नहीं है। इस विषय को लेकर जब भारतीय आयुर्वेद के भारतीय ज्ञाता वैद्य से या फिर ज्‍योति‍ष शास्‍त्र के उन गणितज्ञ से बात करता हूॅॅ जिन्‍होंने कुण्‍डली को अपना व्‍यापार नहीं बनाया है तब सत्‍य सामने आता है और इतना जबरदस्‍त वैज्ञानिक कारण होता है कि बडे बडे आज के वैज्ञानिक इस बात पर चुप हो जाते हैं या फिर गोल-मोल बाते करने लगते हैं। ये बात पहले दिल्‍ली केे सीएम अरविन्‍द केजरीवाल ने भी कही जिन्‍होनेे स्‍वयं आईआईटी करी है और कल स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने भी कही है और वो भी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में बोली है प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए लव ने कहा, “आज जरूरी है कि जब हम (लॉकडाउन में) ढील की बात कर रहे हैं, जब हम प्रवासी मजदूरों के वापस आने की बात कर रहे हैं तो एक बहुत बड़ा चैलेंज हमारे सामने हैं जिसे हमें समझाना होगा कि हमें वायरस के साथ रहना सीखना होगा… बहुत जरूरी है कि वायरस से बचने से संबंधित जो गाइडलाइंस हैं हम उन्हें कन्युनिटी में व्यवहार में बदलाव के तौर पर लाएं।” इस गाइडलाइंस का पालन करने पर मामले चरम पर नहीं पहुंचेंगे। कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में लोगों के सहयोग की अपील करते हुए लव ने कहा, “अगर हम क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसका पालन करेंगे तो हो सकता है भारत में कोरोना वायरस के मामले बचा जा सकता है।”

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क्‍या सदैव रहेगा? कोरोना या मात्र नियम बन रहे हैं- इस विषय अगर भूतपूर्व आईआईटीएन वैज्ञानिक राजीव दीक्षित की बात सूनें तो स्‍वान फलू के समय पर कहा था कि 27 डिग्री के तापमान पर कोई वायरस जीवित नहीं रह सकता है और यही बात नोवेल कोरोना के समय भारत के टीवी चैनल ने कही थी परन्‍तु अब जब तापमान 41 डिग्री हो चला है तब भी वायरस जीवित है तो यही कहा जायेगा कि नोवेल कोरोना वायरस सौर कोरोना से ज्‍यादा ताकतवर हो गया है या फिर कुछ नये नियमों केे साथ अपने जीवन को चलाने को कहा जा रहा है जो भारत में कभी सम्‍भव नहीं। सोशल डिस्‍टेसिंग के नाम पर ऑन लाइन कुछ नहीं चलेगा और अगर हत्‍याचार हुए छत्‍तीसगढ, झारखण्‍ड और बिहार में बिजली की समस्‍या स्‍वयं मौसम ने बना रखी है और वो भी खौफनाक तरीके से।

उपसम्‍पादक सुनील शुक्‍ल

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