सत्यम् लाइव, 7 जुलाई 2023, दिल्ली।। वैसे तो भोलेनाथ पर जलाभिषेक कभी भी किया जाता है परन्तु सावन का माह जो भगवान शंकर का प्रिय मास माना जाता है उसमें सभी लोग लगातार भस्म और जलाभिषेक को शिवलिंग को अर्पण करते हैं। यह भस्म वैसे तो नवग्रह शन्ति औषधि के साथ में देशी गौमाता के गोबर और देशी गौ माता के घी के साथ मिलाकर बनाई जाती है और अब शुद्ध भस्म पूर्ण रूप से ऑक्सीजन से परिपूर्ण होती है इसे मानसिक रोगियों तक के पानी में डालकर पिलाया जाता है।
शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों किया जाता है। दरअसल सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था जिसमें विष का घड़ा निकला था और इस विष के घड़े को न ही देवता लेना चाह रहे थे और न ही दानव। ऐसे में भगवान शिव ने इस विष का पान करके उसे अपने गले में धारण करके सृष्टि को बचाया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर का ताप बहुत ज्यादा हो गया था तब शिवजी के शरीर के ताप को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन पर जल चढ़ाया था। इस कारण से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है।
शिवजी को भस्म चढ़ाने के पीछे पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने अपने राजमहल में एक यज्ञ का आयोजन किया था जहां पर उन्होंने देवी सती के सामने उनके पतिदेव भोलेनाथ का अपमान किया था। शिवजी के अपमान को सुनकर देवी सती ने हवन कुंड में जलकर अपने प्राण त्याग दिए थे। जब यह बात शिव जी को मालूम हुई तब क्रोधित होकर उन्होंने सती की चिता की भस्म को अपने पूरे शरीर में लपेट कर तांडव किया था। तभी से शिव जी को भस्म लगाने की परंपरा शुरू हुई।
सुनील शुक्ल
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