दिल्ली: सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक चैत्र नवरात्रि इस बार 18 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक चलेंगी। चैत्र नवरात्रि को आत्मशुद्धि और मुक्ति का आधार माना जाता है कहा जाता है कि चैत्र में नवरात्रि में उपासना औ पूजा करने से घर की नाकारात्मकता दूर होती है और वातावरण में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शक्ति के नौ रूपों -मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
1- ज्योतिषीय दृष्टि से चैत्र नवरात्रि विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि में सूर्य का राशि परिवर्तन होता है।
2- सूर्य 12 राशियों का चक्र पूरा कर दोबारा मेष राशि में प्रवेश करते हैं और एक नये चक्र की शुरुआत करते हैं।
3- ऐसे में चैत्र नवरात्रि से ही हिन्दु नव वर्ष की शुरुआत होती है।
4- वित्तीय लिहाज से देखा जाए तो फाइनेंशियल ईयर भी अमूमन चैत्र नवरात्रि के दौरान ही शुरू होता है।
चैत्र नवरात्रि के वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो यह समय मौसम परिवर्तन का होता है, इसलिए मानसिक सेहत पर इसका खासा प्रभाव देखने को मिलता है। इस समय में अक्सर लोगों के बीमार पड़ने की आशंका रहती है ऐसे में का व्रत करना शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है।
नवरात्रि की शुरुआत घरों में साफ सफाई से होती है। घर के जिस स्थान पर आप कलश स्थापना करना चाहते हैं उस स्थान को अच्छी तरह साफ कर लें। मिट्टी के घरों में इसे गाय के गोबर से लीपकर पवित्र किया जाता है। लेकिन यदि आप शहर में है तो कलश स्थापना के स्थान को धुलने के बाद गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर सकते हैं। ध्यान रहे कि कलश स्थापना और पूजा के उपयोग में आने वाले बर्तन जूठे न हों। स्थान को स्वच्छ और पवित्र करने के बाद एक लकड़ी का पटरा रखकर उस पर नया लाल कपड़ा बिछाएं। इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें। इसी बर्तन के बीच में जल से भरा हुआ कलश रखें।
कलश का मुख खुला ना छोड़ें, उसे ढक्कन से ढक दें और कलश पर रखे ढक्कन पर चावल या गेंहूं से भर दें। इसके बाद उस पर नारियल रखें। इसके बाद कलश के पास दीपक जलाएं। आपका कलश मिट्टी या किसी धातु का बना हो सकता है।
चैत्र नवरात्रि के वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो यह समय मौसम परिवर्तन का होता है, इसलिए मानसिक सेहत पर इसका खासा प्रभाव देखने को मिलता है। इस समय में अक्सर लोगों के बीमार पड़ने की आशंका रहती है ऐसे में का व्रत करना शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है।
नवरात्रि की शुरुआत घरों में साफ सफाई से होती है। घर के जिस स्थान पर आप कलश स्थापना करना चाहते हैं उस स्थान को अच्छी तरह साफ कर लें। मिट्टी के घरों में इसे गाय के गोबर से लीपकर पवित्र किया जाता है। लेकिन यदि आप शहर में है तो कलश स्थापना के स्थान को धुलने के बाद गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर सकते हैं। ध्यान रहे कि कलश स्थापना और पूजा के उपयोग में आने वाले बर्तन जूठे न हों। स्थान को स्वच्छ और पवित्र करने के बाद एक लकड़ी का पटरा रखकर उस पर नया लाल कपड़ा बिछाएं। इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें। इसी बर्तन के बीच में जल से भरा हुआ कलश रखें।
कलश का मुख खुला ना छोड़ें, उसे ढक्कन से ढक दें और कलश पर रखे ढक्कन पर चावल या गेंहूं से भर दें। इसके बाद उस पर नारियल रखें। इसके बाद कलश के पास जलाएं। आपका कलश मिट्टी या किसी धातु का बना हो सकता है।
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