सत्यम् लाइव, 12 अक्टूबर 2020, दिल्ली।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ट्विर पर लिखा था, “12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती है. इस खास अवसर पर 100 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया जाएगा. यह उनके जन्मशताब्दी उत्सव का हिस्सा है और उनके महान व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देने का एक मौका.”
12 अक्टूबर 1919 को सागर जिले में इनका जन्म हुआ। विजया राजेसिंधिया का पूरा नाम लेखा देवीेश्वरी देवी था। सन् 1941 में अंग्रेजो के कार्यकाल के दौरान ग्वालियर के आखिरी सत्ताधारी जार्ज जिवाजीराव सिंधिया की पत्नी बनीं। ग्वालियर की राजमाता के रूप में लोकप्रिय हुुुई, स्वतंत्रा के पश्चात् भारत से राजशाही समाप्त होने पर वे राजनीति में उतर गई और कई बार भारतीय संसद के दोनों सदनों में चुनी गई। वह कई दशकों तक जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय सदस्य भी रही। एक प्रमुख भारतीय राजशाही व्यक्तित्व के साथ-साथ एक राजनीतिक व्यक्तित्व भी थी।राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता रह चुकी हैं। विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया। विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ काफी मजबूत हुआ। वर्ष 1971 में पूरे देश में जबरदस्त इंदिरा लहर होने के बावजूद जनसंघ ने ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत हासिल की। विजयाराजे सिंधिया भिंड से, उनके पुत्र माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से सांसद बने।
सुनील शुक्ल
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