
सत्यम् लाइव, 29 जून, 2020 दिल्ली।। मधुबनी का क्षेत्र को रामायण कालीन कहा जाता है श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के शोध के अनुसार, वाल्मीकि रामायण और मानस लिखित है कि महर्षि गौतम की ओर से सम्मान पाकर राजा जनक की नगरी मिथिला में प्रवेश किया था तथा साथ ही मधुवनी की सीमा से सटे माता सीता का जन्म स्थल सीतामढी है। सिर्फ इतनी ही उपलब्धियॉ लिये हुए नहीं खडा है, मधुबनी बल्कि अपने आप संस्कृति और सभ्यता की धरोहर केे रूप में, अपनी मैथली भाषा के लिये आज भी पहचान बनाये हुए है। मधुबनी के बारे यदि मैं कुछ लिखूॅॅ तो कलम की स्याही कम पड सकती है शब्द कम पड सकते हैंं, बस इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि जिस स्थल पर जगतारिणी जगदम्बिकेे प्रकट हुई हों उस स्थल का कलयुग में ऐसा हाल होगा ये देखकर कुछ कह नहीं पाता हूॅॅ आप स्वयं सोचे यदि आज का विकास सही दिशा पर होता तो स्वयं जगत की माता नेे इसी स्थल पर जन्म लेकर कलयुगी विकास की राह क्यों नहीं दिखाई। जी हॉ, ये वही मधुबनी है जहॉ पर माता सीता गिरिजा देवी के मन्दिर में, विवाह से पहले पूजा करने आयींं थी।

आज की ये स्थिति देखकर तथाकथित श्रीराम के भक्तों पर क्रोध तो आता ही है परन्तु उनके गलत दिशा पर विकास को देखकर दया भी आती है। डॉ. एस. बालक द्वारा भेजे गये चित्र को आप स्वयं देख सकते हैं और मधुबनी की जनता का आक्रोश का अन्दाजा लगा सकते हैं। ऐसे में एलईडी लगाकर चुनाव प्रचार करना कहाॅॅ तक ठीक है ? आप स्वयं निर्णय करें। पत्रकार डॉ. एस. बालक ने जब समस्त जनता से मिलेे तो जनता का आक्रोश सामने आया, सारी ही जनता अपने अपने वयान देने में नहीं चूक रही है। पत्रकार डॉ. एस. बालक के अनुसार विधायक या सांसद सिर्फ कानून बनाने के लिये नहीं चुने जाते है और क्षेत्र के विकास में, उनका महत्वपूर्ण हिस्सेदारी होती है। क्षेत्र के विकास के लिये विधायक महोदय को, 3 करोड़ सलाना और सांसद महोदय को 5 करोड़ सलाना मिलता है। इस हिसाब से एक पंचवर्षीय में, कुल 40 करोड़ों रुपये महोदय प्राप्त करते है। ये राशि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिये, ये राशि कम नहीं होती है। 50% हजम करने के बाद भी, अगर ईमानदारी पूर्वक 50% क्षेत्र के विकास में लगा दिये होता तो आज क्षेत्र की यह हालत देखने को नहीं मिलता। जनता के खून पसीना की कमाई से लिया गया। टैक्स को 100 फीसदी डकारने वाले विधायक और सांसद कान खोल कर सुने। इस बार के विधान सभा के चुनाव में, जनता आपसे से हिसाब मांगेगी। 15 साल में, कभी नीतीश बाबू को याद नहीं आया कि खेतो तक, कैसे पानी पहुंचाया जाय? अब जब चुनाव नजदीक है तो जनता को उल्लू बनाया जा रहा है। जिस पुण्य धरा पर, भाषा शैली के महान कवि जन्में हों। उस पर क्या लिखूॅॅगा मैंं? बिहार के बेगूसराय मेंं जन्मे इस धरा पर राष्ट्र्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के कदम अवश्य पडे हैंं और उनकी ही पंक्तियोंं में कहा जायेे तो ”जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।”
सुनील शुक्ल
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