भारतीय शास्त्रों के अनुसार सूर्य और चांद के बीच धरती आ जाने पर, सूर्य की रोशनी चांद पर न पड़ेे, उस काल को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
सत्यम् लाइव, 25 मई 2021, दिल्ली।। भारतीय शास्त्रों का आधाार ही प्राकृृतिक वैज्ञानिकता का आधार लिये हुए है भारतीय ऋषियों-मुनियों ने प्रकृति एवं पर्यावरण को ग्रहों की गति के अनुसार गणना की जिसको महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जी ने ”सूर्य सिद्धान्त” में संस्कार कहा है अर्थात् संस्कार का अर्थ ग्रहों की गणना कर शुभ मुहूर्त निकालना है।
इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई दिन बुधवार को होने जा रहा है। तिथि वैशाख की पूर्णिमा होगी जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कही जाती है। सूर्य और चांद के बीच धरती आ जाने पर, सूर्य की रोशनी चांद पर न पड़ेे, उस काल को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं बल्कि उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जायेगा। 26 मई को दोपहर 2.17 बजे से शुरू होगा और शाम 7:19 बजे पर होगा।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण को पूर्वी एशिया, उत्तरी यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्रों में पूर्ण रुप से दिखा जा सकेगा। चंद्र ग्रहण नंगी ऑखों से देखा जा सकता है। आप चाहें तो स्वयं नंगी आंखों से देख सकते हैं। यदि टेलिस्कोप से देखा जाये कुंछ रोचक, दिलचस्प आकाशीय घटनाक्रम को देख जा सकता है। बच्चों वाली दूरवीन से या सोलर फिल्टर वाले चश्मेें से भी कुछ तथ्य देखे जा सकते हैं यह बच्चों के लिए खेल के साथ सुखद अनुभव होगा।
सुनील शुक्ल