ऑनलाइन व्यवस्था पर प्रकृति की मार आ चुकी है क्योंकि चक्रवात से लेकर बाढ तक ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि तकनीकि को भी समाप्त किया है।
सत्यम् लाइव, 28 जुलाई 2020, दिल्ली।। ऑनलाइन व्यवस्था पर प्रकृति की मार आ चुकी है क्योंकि चक्रवात से लेकर बाढ तक ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि तकनीकि को भी समाप्त किया है। एक तरफ कोरोना महामारी चैत्र मास में, उत्तरायण काल में, अगस्त तारा के उदय होने पर आ जाता हैै तो दूसरी तरफ दक्षिणायण काल और सावन के माह के आने से पहले ही, प्राकृतिक आपदा अपना विकराल रूप रख लेती है। एक तरफ भारत सरकार कोरोना कॉल को आपदा काल घोषित कर सबको घरों में रहने पर मजबूर करतेे हुए पुलिस को खुुुुले आम लठ चलाने की खुली छूट दे देती है तो दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाऐं घर के बैठे मनुष्य को अपना भय दिखाती हैं। लगातार आते भूकम्प शायद ये कह रहे हैं कि घर के अन्दर बैठना मनुष्य का काम नहीं है। कलयुग में किसी भी भय को समाप्त करने लिये एक साथ मिलकर, सूर्य और चन्द्र देव की आराधना करना ही होगा। सूर्य देव अपनी शक्ति से बडे से बडे वायरस को समाप्त कर सकते हैैं। आप कहोगे कि ये वायरस 60 डिग्री पर समाप्त होता है तो इतना ताप होने पर तो मनुष्य ही नहीं बचेगा ? हॉ जी ऐसा ही है परन्तु अभी तो संकट जल का है जो पूरे देश में कोरोना से ज्यादा व्यापक हो चला हैै। दो वर्ष पहले मैं कानपुर गया था था तो दैनिक जागरण पढ रहा था तो एक खबर थी कि ”पानी बचाओ” वैसे तो ये पूरे देश में चलाई जा रही है। ये खबर शायद इन्द्र देव ने भी पढ ली और तीसरे दिन ऐसा पानी बर्षा कि पूरा शहर भरा हुआ था पानी को निकालने के लिये गंगा बैहराइज पर जो काम हुआ था उसे तोडना पडा। ये व्यग्य नहीं है कि अब ये नेताओं जो स्वयं सब कुछ अपने फायदे केे लिये कर रहा हैै की अरदास अब भगवान शंकर तक पहुॅच चुकी है और उन्होंने अपनी जटाओं की एक लट खुल दीं क्योंकि जनवरी से बारिश बन्द नहीं है दूसरा दो चक्रवात आ चुके हैं, रूद्धदेव अपना तीसरी ऑख खोलते खोलतेे हर बार दया कर देते हैं क्याेेंकि पिछले पॉच माह में, अब तक पूरे देश में कुल 26 भूकम्प आ चुके हैं और ऐसी बारिश हो रही है कि 22 जिले बिहार के, असम के 28 जिले लबालब हैं और इतना ही नहीं शायद कोई ऐसा क्षेत्र बचा हो जहॉ पानी ने अपना विकराल रूप न दिखाया हो। दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश में घरों के अन्दर पानी घूसा। अब मन्द बुद्धि नोवेल कोरोना से ऐसा डरा बैठा है कि उसे सौर कोरोना का भय जब ज्यादा सताने लगा है। अपने ही शास्त्रों को न पढने के कारण ही तब और ज्यादा आश्चर्य होता है जब मैकाले शिक्षा का पढा हुआ, ज्ञानी सम्पादकीय टिप्पणी करता है जिससे साफ झलकता है कि इस लेखक ने भारतीय प्रकृति का ज्ञान छोडकर, पूरे विश्व का ज्ञान लिया है। ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था पर काम करने पर जोर वो भी दे रहे हैं पहले तो ये ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था ही ज्ञान का मार्ग नहीं दिखाती है क्योंकि हर मनोविशेषक ये बता रहा है कि इस शिक्षा से फायदे कम बल्कि आने वाली पीढी को रोगी ज्यादा बनायेगी फिर भी ऑखे बन्द करके लगातार ऑनलाइन शिक्षा को बढावा शासन और प्रशासन सभी बढा रहे हैं जबकि आधे से ज्यादा देश मेें, आये हुए प्राकृतिक आपदा ने पूरेे देश मेें, की बिजली पूर्ति और मोबाईल के टॉवर की व्यवस्था को खराब कर दिया है। आने वाली कम्पनी को तो फायदा है कि प्रकृति ने उनके टॉवर को हटाने की, लेबर चार्ज को बचा दिया परन्तु जो नुकसान भारतीय प्रकृति का होगा उसकी भरपाई कई जन्मों तक नहीं होगी अत: अपने विनम्र स्वभाव के साथ इस देश केे शिक्षक और अभिभावक को स्वयं निर्णय करना होगा कि शिक्षा कैसे आगे बढाई जाये? सरकार तो भारतीय संस्कृति और सभ्यता की रक्षा की बात नहीं करती हुुई, नजर आ रही है। शिक्षक और अभिभावक को ये समझ लेना चाहिए कि जो शिक्षा मैकाले द्वारा चालू की गयी थी वो अब तक भारतीय संसाधनों का ही नाश कर रही हैै और मैकाले का उददेेेश्य भी यही था। आज पश्चिमी सभ्यता में रहने को विकास समझा जा रहा है वैसे ही कपडे से लेेकर उठना बैठना तक होना चाहिए और तो और वैसा ही भोजन भी होना चाहिए। आज की माता-पिता अपने पुत्र और पुत्री को रसोई के बारे में न बताकर, केमिकल युक्त भोजन खाना ज्यादा सीखा रहे हैं। आज का समाज शिक्षा ही इसी काेे मानता है कि सुबह उठकर बाहर का भोजन करो और फिर किसी की गुलामी करके पैसा कमाओ। सरकार भी विकेन्द्रियकरण के व्यापार की जगह केन्द्रियकरण केे व्यापार को बढावा दे रही है। सरकार ने स्वयं विदेशी कम्पनी को बुला-बुलाकर भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समाप्त करने का काम कर रही है और फिर सबको उन्नत का मूल मानती है। ऑनलाइन पर कार्य चालू होनेे का अर्थ है कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता में पश्चिमी सभ्यता को आमंत्रित करना या फिर भारतीय शास्त्रों केे हिसाब सेे कहा जाये कि घोर कलयुग निमंत्रण देना।
सुनील शुक्ल
Discover more from Satyam Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.