
सत्यम् लाइव, 10 मई, 2020, लखनऊ।। भारत भर में नोवेल कोरोना के कारण किये गये लॉकडाउन से, औद्योगिक घरानों जो पटरी से उतर गया हे उसको पटरी पर लाने के लिये श्रम काूनों की बंदिशों से छूट पाने के लिये उत्पादन इकाइयों को थोडा इंतजार करना पडेगा। यह निर्णय उत्तर प्रदेश की सरकार नेे लिया है। प्रदेश में लागू 38 श्रम अधिनियमों मे से ज्यादातर केन्द्रीय अधिनियम ही हैं इसी कारण से अब श्रम कानूनों से छूट पाने के लिये यह अध्यादेश को सरकार राष्ट्रपति की मंजूरी के लिये केन्द्र सरकार को भेजेगी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही यह अध्यादेश प्रदेश सरकार लागू कर सकती है। श्रम अधिनियमों में, 3 साल की अस्थायी छूट की बात की गयी है जो सशर्त है। इस अधिनियम के अर्न्तगत 38 श्रम अधिनियमों में से, 5 राज्य द्वारा अधिनियम बनाए गए हैं शेष 33 अधिनियम केन्द्रीय हैं। लॉकडाउन के बीच सरकार ने कुछ शर्तों के साथ औद्योगिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति दी है।
- उद्योगों को सोशल डिस्टिेसिंग अर्थात् शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए कहा गया है।
- उद्योगों के सामने श्रमिक संकट होगा अत: उत्पादन का जोखिम भी नहीं उठाना चाहेगें।
- श्रम कानूनों के प्रावधानों से छूट मिलने पर उद्योग में, न सिर्फ काम के घंटे बढ़ा सकेंगे, बल्कि उसमें अपनी सुविधानुसार बदलाव भी कर सकेंगे।
- कामगारों को अपनी जरूरतों के मुताबिक समय का नियोजन कर सकेंगे। संविदा पर श्रमिकों को नियोजित करने की शर्तों से भी उन्हें छूट मिल सकेगी।
- कई प्रकार के रजिस्टर तैयार करने की आवश्वकता नहीं है कामगारों को बोनस देने की अनिवार्यता में भी रियायत मिल सकेगी यदि उद्योग फायदे में हैै तो वह कामगारों को बोनस मिलेगा।
अध्यादेश में सरकार ने मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान तो बरकरार रखा है लेकिन इससे अधिक मजदूरी देने के लिए नियोक्ता पर अन्यथा कोई दबाव नहीं होगा। नया अध्यादेश भले ही लागू न हुआ हो लेकिन राज्य सरकार ने कारखाना अधिनियम की धारा पांच में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए। कारखानों में वयस्क कामगारों के काम के घंटेे बढ़ाकर रोजाना 12 घंटे तक काम लेेनेे की, अधिसूचना जारी कर दी है। इस विषय पर पूछने पर कहा गया कि लॉकडाउन के कारण श्रमिक संकट का सामना कर रहे उद्योगों को इससे कुछ राहत मिलेगी। वे कम श्रमिकों की बदौलत भी ज्यादा उत्पादन कर सकेंगे। उत्तर प्रदेेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के मुताबिक ”श्रमिकों के मूलभूत हितों की रक्षा के लिए, श्रम कानूनों में जो उनको संरक्षण प्राप्त है वह यथावत रहेंगे।” वेतन अधिनियम 1936 की धारा-5 के तहत तय समय सीमा के अंदर वेतन भुगतान का प्रावधान भी लागू रहेगा। विपक्ष का कथन :- इस पर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मजदूर विरोधी अध्यादेश बताया है। सरकार द्वारा बीते बुधवार को अध्यादेश जो पास किया गया विपक्ष के मुताबिक तीन अधिनियम व एक प्रावधान के अलावा, सभी श्रम अधिनियमों निष्प्रभावी हैंं।
अध्यादेश के पूर्ण अधिनियम अभी ज्ञात नहीं
इस अध्यादेश को पारित करते समय दो बातेंं इसमें स्पष्ट समझ में आ रही है परन्तु सरकार इस अध्यादेश को पूरी तरह सेे छिपाती हुई नजर आयी। जिस तरह से ”महामारी रोग नियंत्रण” का प्रचार किया गया उस तरह से इस अध्यादेश पर पूरी बात करते हुए सरकार भी मीडिया से कटती हुई नजर आयी। इस अध्यादेश में भी ऑनलाइन अर्थात् डिजिटिलाइजेशन को आगे करने का प्रयास किया गया है दूसरी तरफ बेकसूर श्रमिक वर्ग के काम के घंटे बढाने की बात कही गयी है। ये बात कांग्रेस और सपा नेताओं ने जमकर कहते हुए नजर आये। लॉकडाउन केे बाद अब सरकार श्रमिकों की हितैशी होनीी चाहती है इसका प्रयास इस अध्यादेश के माध्यम से किया जा रहा है।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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