
अगर भारत में उत्तरायण काल की सूर्य के सौर कोरोना द्वारा छोडी गयी गर्मी नोवेल कोरोना को नहीं मार सकती तो फिर शराब कैसे मार सकती है ? ये प्रश्न सभी वैज्ञानिक से है ?
सत्यम् लाइव, 6 मई, 2020, दिल्ली।। भारत में शराब का इतिहास बहुत पुुुुुुराना नहीं है और ये कहा जाये कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता के पतन के लिये ही, भारत के कलकत्ता में सबसे पहला 1760 में खोला गया था ये दुकान East India Company का एक अफसर राबर्ट क्लाइव ने खुली थी और अध्यात्मिक भारत में उसके गेट पर लिखा गया था कि ”फ्री में पीओ और आनन्द उठाओ” ये वाक्य देखने में बडा साधारण सा लगता है परन्तु जब अध्यात्म की दुनिया में जाकर इसका विशलेषण देखा तो पता चला कि आनन्द और सुख मेें जमीन, आसमान का अन्तर है। आनन्द का अर्थ है आत्मा की अनुभूति से प्रसन्नता और सुख वहीं है जो आज आप और हम भौतिकवाद के अन्दर खोज रहे हैं। लन्दन की संसद में राबर्ट क्लाइव इसके बाद जब बुलाया गया तो उससे पूछा गया कि तुम्हारा शराब का धन्धा कैसा चल रहा है तो उसने कहा कि बहुत अच्छा चल रहा है तो वहॉ तो कोई शराब पीता नहीं है तो उसका जबाव था कि पीता तो नहीं है पर मैनेें लिखा ”फ्री में पीओ और आनन्द उठाओ”। पहले तो कोई नहीं आया फिर एक आया और उसने पीया, फिर वो अपने साथी को लेकर आया और अब वही पैसेे घर से चुराकर ला रहे हैं और शराब पी रहे हैं। अब तो लाइन की लाइन आ रही है। इस वयान को सुनकर संसदीय समिति प्रसन्न हो गयी तो उसको ईनाम देने की बात कहीं तब राबर्ट क्लाइव ने कहा कि मुझे एक दुकान खोलने का लाइसेन्स और दे दो, मै वहींं पर एक दुकान और खोलना चाहता हूॅ। अनुमति दे दी गयी, धीरे धीरे अंग्रेजो ने एक कानून भी बन गया कि जब तक व्यक्ति 14 वर्ष हो जाता है तब शराब पी सकता है तो प्रश्न हुआ कि किसी आधार पर आपने ये उम्र बनाई तो उन्होंने कहा कि हमारे यहॉ 14 वर्ष में सब पीने लगते हैं तो बना दी। इस पर विरोध हुआ तब उम्र को 16 वर्ष की। तब भी विरोध हुआ तो 18 वर्ष कर दी जो आज तक चल रही है और ये कानून के तहत पर खुले आम शराब पीने लगे, लोग। तब सार्वजनिक स्थल, धार्मिक स्थल पर नहीं पी जायेगी ये कानून बना। 1832 तक आते आते लगभग 350 दुकाने भारत में खुल चुकी थीं और इसके बाद 2010 तक 32,000 शराब की दुकानें लाइसेन्स के दम पर चल रही हैं। जिसको कह सकते हैं कि भारत सरकार चलवा रही है बिना लाइसेन्स वाली दुकानों की बात की जाये तो 1 लाख से ऊपर हैं। मैं फतेहपुर के नैनी चौराह पडता है वहाॅॅ पर गया था तो देखा कि चौराहे पर एक बैंक है जिसके बाहर लिखा है कि आप कैमरे की निगरानी हैं और अन्दर गया तो पता चला कि बैंक में पैसे नहीं हैं येे ताज्जुब तब और बढ गया जब उस चौराहे पर तीन शराब की दुकानें हैं और इस बार और हद हो गयी जब सरकार की तरफ कहा गया कि राजस्व बढाने केे लिये, लॉकडाउन में शराब की दुकानें खोली जा रही हैं और सत्ता में वो पार्टी है जो श्रीराम के नाम पर चुनाव लडती आयी है और िदिल्ली में िविरोधी सरकार आम आदमी भी सहयोग दे रही है जब कि भारत में धर्म के आधार पर नशा करना ही पाप है और धर्म के लक्षण बताते समय जो बात की गयी है वो सब भारत की सूर्य की गति के आधार पर वैज्ञानिकता को सिद्ध करती है।
इसे अवश्य पढे – सौर कोरोना एक परिचय https://www.satyamlive.com/solar-corona-an-introduction/

इस्लाम में भी शराब पर प्रतिबन्ध है – इस्लाम में, शराब को हराम कहा गया है। इस्लाम में, मोहम्मद साहब ने शराब को सारे फसाद की जड़ बताया है और साथ ही कहाा है कि जो व्यक्ति शराब का सेवन करता है वह खुदा की इबादत कभी नहीं कर सकता। वह खुदा से दूर हो जाता है क्योंकि कि वह होश में नहीं होता की वह कर किया रहा है।
इसे भी पढे – वायरस से बचाव अभियान (भाग-1) https://www.satyamlive.com/virus-protection-campaign-part-1/

हलॉकि हिन्दु सम्प्रदाय में धर्म की परिभाषा जो बताई गयी है मानव जाति के लिये बताई गयी है क्योंकि हिन्दु सम्प्रदाय का सबसे बडा वैज्ञानिक तर्क यही है कि अहिन्सा ही सदैव शुद्धता और सात्विकता लाता है और यही शुद्धता और सात्विकता दिनचर्या अपनाने की बात करता है जबकि शराब पीने से, सूर्य का विरोध होता है मानव शरीर। आप माने या न मानेंं परन्तु आज तक जितना बडी खोज मानव शरीर और प्रकृृति के सम्बन्ध में काम भारतीय शास्त्रों ने किया है आज का विज्ञान कभी नहीं कर सकता है। मानव शरीर में मूलाधार चक्र का वर्णन आता है जिसका प्रतिनिधित्व सूर्य ही करता है और मानव शरीर का मुख्य अंग ही है मूलाधार चक्र इस चक्र की यदि ताप बढ जाता है तो भी मानव के शरीर को तकलीफ आती और यदि कम हो जाती है तो भी तकलीफ आती है। जो भोज्य या पेय पदार्थ शरीर में जाता है उससे पायी जाने वाली शक्ति को मूलाधार चक्र अर्थात् सूर्य का ताप ही निर्धारण करता है। दूसरी तरफ मुस्लिम सम्प्रदाय में, चन्द्रमा की इबादत की जाती है और स्वाधिष्ठान चक्र का प्रतिनिधित्व चन्द्रमा करता है। स्वाधिष्ठान चक्र शीतलता प्रदान करता है। दोनों ही चक्रो का अपना-अपना महत्व है। चन्द्रमा सभी ग्रह, सूर्य की शक्ति से चलतेे है और दोनों ही चक्र में से एक पर भी समस्या आयेगी जब शराब शरीर के अन्दर जायेगी। इसका अर्थ ये है कि ग्रन्थों की रचना उस धरती की प्रकृति के हिसाब से हुई थी और समस्त ग्रन्थों का आधार ही वेद है ये बात स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की सत्य प्रतीत होती है इसी कारण से स्वामी जी ने कहा था कि चलो वेद की ओर।

भारत मेें शराब अस्वस्थ बनाती है :-

भारत में सूर्य की गर्मी बहुत तेज हैं जिसके कारण भारत सहित पूरे एशिया में शराब पीना खराब माना जाता है क्योंकि पूरे एशिया में सूर्य की गर्मी बहुत तेज होती है और शराब पीने से ब्लेड प्रेशर बड जाता है जब शराब से ब्लेड प्रेशर बड जायेगा तो हृदयघात आ सकता है, साथ ही बडा हुआ ब्लेड प्रेशर को यदि शान्त न करने के योग्य, मौसम न हो तो त्वचा केे रोग आते हैं, लीवर खराब हो जाता है और मुस्लिम और हिन्दु दोनों के शास्त्र शराब काेे गलत बताते हैं इसके पश्चात् भी अगर भारत में शराब की इस तरह से बेची जाती है तो ताज्जुब होता है इसका धार्मिक आधार क्या कहता है ? भारत का धर्म शास्त्र में धर्म केे चार चरण सहित दस लक्षण बताये गये हैं। धर्म के साथ अहिन्सा का महत्व भी बताया गया है और अहिन्सा ही है जो शरीर केे अन्दर किसी भी प्रकार के कीटाणु को जन्म नहीं लेने देती है और धर्म के बताये गये मार्ग पर न चलकर व्यक्ति मन, क्रम और वचन से जो गलती करता है उसके कारण ही बीमार पडता है। शराब व्यक्ति के लीवर, किडनी को खराब कर देती है जिस व्यक्ति का बीमार रहता है वो सबसे बडा पापी कहलाता हैै।

भारत में सूर्य की गर्मी की गर्मी के विरूद्ध मेें कोई भी काम किया जाये तो हिन्सा है और अहिन्सा में कहा गया है कि एक दूसरे से वैरत्याग एवं प्रकृति से जीवाणुओं की रक्षा का नाम अहिन्सा है। इस लेख के माध्यम से बहुत छोटा सा अंश मात्र है जिसमें ये बताने का प्रयास किया है कि हिन्दु और मुस्लिम दोनों की धर्म परायण हैंं और दोनों ही अपनी अपनी जगह पर चक्रों को ग्रहों के हिसाब से शरीर को स्वस्थ रखने केे लिये प्रयास करते रहे हैं आज की ये बिडम्बना गलत ग्रन्थाेें का गलत विशलेषण करने के कारण हुई है। ये बात राजीव भाई ने कई व्याख्यानों में कही है शराब पर एक व्याख्यान जिसमें बाबा रामदेव जी उपस्थिति हैं नीचे लिंक दे रहा हूॅ परन्तुु आज इस पर बाबा रामदेव जी भी मौन हैं। कारण क्या है? ज्ञात नहींं।
https://www.youtube.com/watch?v=f6FQepWgQuE
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
Leave a Reply