सत्यम् लाइव, 12 फरवरी 2021, दिल्ली।। उत्तराखण्ड के चमोली में हुआ हादसा का खतरा अभी समाप्त नहीं हुआ है बल्कि और ज्यादा बढ गया है गढवाल विश्व विद्यालय के भूवैज्ञानिक डॉ. नरेशा राणा ने कल बताया कि ऋषि गंगा में आयी आपदा के कारण एक झील बन चुकी है
और अत्यधिक मानवीय गतिविधियां, ब्लैक कार्बन और धूल के कण ग्लेशियरों की उपस्थिति हिमालय क्षेत्र के लिये चिंताजनक है। साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि योजनाओं के निर्माण में शोध को प्राथमिकता मिले, तो काफी हद तक आपदाओं मेें कमी आएगी।

गढ़वाल विवि के भूवैज्ञानिक का कहना साफ है कि निर्मित इस झील के कारण खतरा घटा नहीं बल्कि बढ गया है ये आपदा भयावह हो सकती है क्योंकि चल रही परियोजना में एक टरवाइन नामक पंखा लगाकर पानी की गति को तेज किया जाता है जिसके कारण क्षेत्र में जमा बर्फ पिघलने लगती है
और ऐसा लगातार देखा गया है कि बर्फ का हिस्सा टूटकर उसी स्थान पर रखा रहता है किसी कारण वश जब वो अपने स्थल से अलग होता है तो एक आपदा का रूप धारण कर लेता है ऐसा ही इस बार भी हुआ है और यदि इस परियोजना को रूका न गया तो ये आपदा विकराल रूप धारण कर सकती है।
सुनील शुक्ल
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