सत्यम् लाइव, 31 अगस्त, 2020, दिल्ली।। यह माैैसम पूरे भारत में धान की फसल की बुआई के लिए जानी जाती हैंं। बरसात के दिनों में धान की नर्सरी को दूूसरे खेतोंं में पानी का लेव लगाकर रोपी जाती है। भारत के किसान अपनी धान की खेती के लिए अच्छी बारिश का इंतजार करते है क्योंकि धान की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है। वैसे किसान की तो दिन की शुरूआत ही खेती सेे हाेेती है, सिर्फ खेत में फसल लगाने से खेती नहीं होती उसके लिए किसान अपनी बेटी स्वरूप उस खेेेत का ध्यान रखता, तब जाकर हमारे थाली तक वो अन्न पहुॅॅॅॅता है। किसान जिस जमीन पर अपना कुदाल चला दें वह जमीन अपने आप अनोखी बन जाती हैैै। वैसे आम दिनों मेें किसान अकेले ही अपने खेत काम करता रहता है, पर जब फसल बोने या काटने का समय होता तब वह अपने परिवार के साथ खेत में काम करता है। पूरा परिवार एक साथ उस खेत मेें लगे रहतेे है। जब किसान परिवार सहित खेत में काम करता है, तब वह अपनी संस्कृति के अनुसार लोक गीत गाते है। जैसे उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में कजरी गीत गाये जातेे हैंं। वे लोग गीत गाते-गाते फसल बोते है, जब एक शुर में गीत गाते है तब एक मनमोहन धुन हवा केे साथ मिल जाती है। धान की फसल जब 20-30 दिन के हो जाते तब उसमें लगने वाले घास काेे बरसात की चिलचिलाती धूूूप में उसेे निकालता है लेकिन किसान काेे दुख तब होता है जब उसकी फसल भारी बारिश की वजह से या पानी न मिलने से फसल खराब हाेे जाते है और यही हाल आज पूरे भारत में हुआ है भारत मेें लगभग सभी जगह पानी हैैै, भारी बारिश की वजह से चारोंं तरफ पानी ही पानी है। बाढ से लाेेंगाेें जीवन तहस नहस हाेे चुुुुकेे हैंं फसल बाढ में बह चुकी है।
मंसूर आलम
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