सत्यम् लाइव, 11 नवम्बर 2020, दिल्ली।।देशी गाय की उपयोगिता बताने का अर्थ है जैसे कि सूर्य को दीपक दिखाना। भारतीय नस्ल की गाय की विशेषताओं भारतीय अध्यात्म विज्ञान (शास्त्र) भरा पडा हुआ है। शायद ही ऐसा किसी भी सम्प्रदाय का शास्त्र हो जो भारतीय नस्ल की गाय की विशेषताओं को न बताता हो। काल अपनी समीक्षा स्वयं करके, अपने ही वाक्यों को पुन: दाेेेेेेेहराता ही रहता है ऐसा ही आज फिर से प्रारम्भ हुआ है। देशी गाय के गोबर से आज भारत में खाद्य बन रही है साथ पेन्ट, टाइलिस तक बनाई जा रही है अर्थात् आधुनिकता का लिबास पहने आज का विज्ञान भी भारतीय अध्यात्म विज्ञान को नमन् करने को मजबूर दिखाई दे रहा है।
इस दीपावली केे शुभ अवसर पर भारत की कई गौशालाओं ने गणेश लक्ष्मी, दीपक, धूपबत्ती और खाद्य बनाने की नींव रखी। ऐसी एक गौशाला कानपुर देहात के शिवली में श्री राघव गोवर्धन गौशाला के नाम से चल रही है। जिसमें देशी गौ का पालन पोषण किया जा रहा है इस समय उस गौशाला में लगभग 250 गायें का संरक्षण चल रहा है साथ ही देशी गौ के गोबर और मूत्र का उपयोग खाद्य और गौनायल बनाने में तो पहले ही किया जा रहा था पिछले दो वर्ष से गणेश लक्ष्मी और दीपक बनाने का कार्यक्रम भी प्रारम्भ किया गया।
श्री रमा शंकर जी तहसीलदार मैथा कानपुर देहात को श्री राघव गोवर्धन गौशाला द्वारा तैयार की गई गौमय दीपावली की किट भेंट की गयी साथ ही प्रशांसनीय शब्दों में श्री रमा शंकर जी ने अपने परिवार जनों का सौभाग्य जताते हुए कहा कि इस दीपावली में हमारे सम्पूर्ण समाज में महालक्ष्मी का वास हो और सभी आन्नदित जीवन यापन करें।
श्री राम शिरोमणि जी उपजिलाधिकारी मैथा कानपुर देहात को प्रदान की गयी गौमय श्री गणेश लक्ष्मी की मूर्ति तथा दिये पर श्रीराम शिरोमणि जी ने कहा कि बहुत ही सराहनीय कर रहे श्री राघव गौवर्धन गौशाला समिति का हार्दिक अभिनन्दन करता हूॅ और सभी से ये निवेदन करता हूूॅू सभी गौ पालन तथा संंबर्धन के कार्य को इसी तरह से आगे बढाते रहें। जिससे निकट भविष्य में कोई भी महामारी का शिकार हमारी आने वाली पीढी न होने पाये। सुनील शुक्ल
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