सिगरेट और वाहनों के धुएं में स्टीरीन गैस निकलती है जो मानव शरीर के लिये संकट का द्वार खोलती है। यह गैस स्वीटगम नामक अमेरिकी पेड़ से प्राप्त की थी
सत्यम् लाइव, 7 मई, 2020, दिल्ली।। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरूवार को प्रात: 3 बजे स्टीरीन नामक जहरीली गैस का रिसाव होेनेे से कई लोगों की मौत हो गयी है और अब तक लगभग 120 व्यक्ति की स्थिति नाजुक है। इस गैस से पूरे क्षेत्र में ऑखों में जलन, श्वॉस लेने में तकलीफ और शरीर में चकत्ते पडने की शिकायत आयी है। स्टीरीन बेंजीन का ये एक ऐसा यौगिक है जो प्लास्टिक पेन्ट बनाने का काम आता है। इस गैस के सम्पर्क में, व्यक्ति का नर्वस सिस्टम पर बहुत प्रभाव पडा है। यह गैस लम्बे समय तक बच्चों और बूढो पर टाक्सिक पर प्रभाव डाल सकती है इस गैस से सिरदर्द, कमजोरी, लो ब्लेड प्रेशर जैसे प्रभाव देखने को भविष्य में मिल सकते हैं लोगों को ये श्वॉस का रोगी बना सकती है। 3 से 4 चार किलोमीटर तक तो इस क्षेत्र मेें जानवर भी मरे पाये गये हैं। इस गैस का प्रयोग यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार स्टीरीन का इस्तेमाल पॉलिस्टीरीन प्लास्टिक बनाने, रबड, फाइबर के पाइप और ग्लास बनाने, ऑटोमाबाइल पाट्रर्स, प्रिंंटिग और कॉपी मशीन, टोनर, कंटेनर्स, पैकेजिंग का सामान, खिलौनें, पॉलिश बनाने में प्रयोग किया जाता है। आज विकास के इस दौर मेंं पराली जलाने में कौन सी गैस प्राप्त होती है ये तो कोई नहीं बता रहा है पर सिगरेट और वाहनों के धुएं में स्टीरीन गैस निकलती है जो मानव शरीर के लिये संकट का द्वार खोलती है।
स्टीरीन की खोज : स्टीरीन की खोज 1839 में, जर्मन के वैज्ञानिक एडुअर्ड साइमन ने किया था ये उन्हें स्वीटगम नामक अमेरिकी पेड़ से प्राप्त की थी ये पेड़ आज पूर्वी उत्तर अमेरिका और उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के गर्म समशीतोष्ण क्षेत्र में एक पर्णपाती पेड़ है मेक्सिको, संयुक्त राज्य अमरीका, उत्तरी अमरीका में पाया जाता है। स्वीटगम पेड़ से निकली तरल पदार्थ को जब हवा, प्रकाश और गर्मी में रखा तो पाया कि यह ठोस रूप धारण कर लेता है और रबड के रूप मेें बदल जाता है कृषि प्रधान देेश में आज भारतीय लकडी की जगह, अमेरिकन का प्रयोग रबड तक बनाने मेें किया जा रहा है।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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