ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का प्रयास

सत्यम् लाइव, 29 जुलाई, 2021, दिल्ली।। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले के वीरसिंह गाँव में 26 सितम्बर 1820 को ब्राम्हण परिवार में हुआ था। पिता ठाकुरदास वन्द्योपाध्याय थे। विद्या के प्रति रुचि ही विरासत में प्राप्त की थी। सुधारक के रूप में इन्हें राजा राममोहन राय का उत्तराधिकारी माना जाता है। 1841 में विद्या समाप्ति पर अंग्रेजों के कॉलेज फोर्ट विलियम कालेज शिक्षक पद पर नियुक्ति मिली।

फोर्ट विलियम कॉलेज कोलकाता की स्थापना 10 जुलाई सन् 1800 को तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली ने की थी। इस संस्था में ही संस्कृत, अरबी, फारसी, बंगला, हिन्दी, उर्दू आदि के हजारों पुस्तकों का अनुवाद हुआ। 1851 में उक्त कालेज में मुख्याध्यक्ष तथा 1855 में स्पेशल इंस्पेक्टर नियुक्त हुए। 1859 ई. में मतभेद होने पर फिर त्यागपत्र दे दिया फिर साहित्य तथा समाजसेवा में लगे।

शिक्षा के क्षेत्र में वे स्त्रीशिक्षा के प्रबल समर्थक थे। श्री बेथ्यून की सहायता से गर्ल्स स्कूल की स्थापना की जिसके संचालन का भार उन पर था। उन्होंने अपने ही व्यय से मेट्रोपोलिस कालेज की स्थापना की। साथ ही अनेक सहायता प्राप्त स्कूलों की भी स्थापना कराई। संस्कृत अध्ययन की सुगम प्रणाली निर्मित की। इसके अतिरिक्त शिक्षाप्रणाली में अनेक सुधार किए अभी प्रश्न बनते हैं क्यों अरबों वर्ष से धरती पर मनुष्य था? और स्त्री को लड़ाया ही नहीं जा रहा था। या फिर अंग्रेजों का अत्याचार बहुत प्रबल था जो विधवा भी लगातार हो रही थीं क्योंकि 1864 में पुनर्विवाहित विधवाओं के पुत्रों को 1864 के एक्ट द्वारा वैध घोषित करवाया।

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एक विषय पर और काम किया कि 1857 तक केवल ब्राह्मण ही विद्याध्ययन कर सकते थे। इसका अर्थ ये है कि अन्य जाति पढ़ाई ही नहीं जाती थी तो फिर कितनी जनसंख्या थी ब्राह्मण की जो पूरा खर्चा चल जाता था। 1880 ई. में सी.आई.ई. का सम्मान मिला अंग्रेजों द्वारा। 29 जुलाई 1891 को दिवंगत हुए। उनकी मृत्यु के पश्चात् रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा ‘‘लोग आश्चर्य करते हैं कि ईश्वर ने चालीस लाख बंगालियों में कैसे एक मनुष्य को पैदा किया!‘‘

विधवा पुनर्विवाह के लिए आन्दोलन किया और सन् 1856 में इस आशय का अधिनियम पारित कराया। सन् 1856-60 के मध्य इन्होने 25 विधवाओं का पुनर्विवाह कराया। इन्होने नारी शिक्षा के लिए भी प्रयास किए तथा कुल 35 स्कूल खुलवाए। विचार करो कि किसके पक्ष में काम हो रहा था? ये यहीं से प्रश्न करके जाना जा सकता है। 1857 का संग्राम में कितनी विधवा हुई थीं और 1858 में मैकाले शिक्षा पद्वति कानून बनाकर लागू कर दिया जाता है जबकि गुरूकुल को गैर कानूनी घोषित कर दिये जाते हैं।

सुनील शुक्ल

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