सत्यम् लाइव, 10 मार्च 2021, दिल्ली : Maha Shivratri महाशिव रात्रि व्रत का पालन फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस बार यह पावन पर्व 11 मार्च को मनाया जाएगा। गुरुवार होने से इस बार महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि 11 मार्च को दोपहर 2: 39 बजे से शुरू होकर 12 मार्च को दोपहर 3: 02 बजे तक रहेगी। 11 मार्च सुबह 9: 25 तक शिव योग रहेगा। उसके बाद सिद्ध योग लग जायेगा। जो कि 12 मार्च सुबह 8: 29 बजे तक रहेगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। इस बार महाशिवरात्रि पर घनिष्ठा नक्षत्र होगा और सुबह 9 :25 बजे तक चंद्रमा मकर राशि में फिर कुम्भ राशि में विराजमान रहेंगे।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन उनके विवाह का उत्सव मनाया जाता है। यह व्रत सभी वर्णो की स्त्री- पुरुष और बाल, युवा, वृद्ध के लिए मान्य है। शिवरात्रि व्रत सब पापों का शमन करने वाला है। इससे सदा सर्वदा भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पूजन में स्नान के उपरान्त शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध,दही घृत, मधु, शर्करा (पंचामृत) गन्ने का रस चन्दन, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्व पत्र, भांग, धतूरा इत्यादि द्रव्यों से अभिशेक विशेष मनोकामनापूर्ति हेतु किया जाता है एवं ‘‘ऊँ नमः शिवाय’’ मंत्र का जाप करना चाहिए। शिवरात्रि में प्रातः एवं रात्रि में चार प्रहर की शिव पूजन का विशेष महत्व है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि चार प्रहर की पूजा करना श्रेयस्कर है।

समय के अनुसार पूजन श्रेयस्कर:
प्रथम पहर सायंकाल 6ः13 बजे
द्वितीय पहर रात्रि 9ः14 बजे
तृतीय पहर मध्यरात्रि 12ः16 बजे
चतुर्थ पहर भोर 3ः17 बजे
निशिथ काल पूजा समय- रात 11ः52 से रात 12ः40 बजे तक।
आचार्य दुबे जी ने बताया कि महाशिव रात्रि पर शिव अराधना से प्रत्येक क्षेत्र में विजय, रोग मुक्ति, अकाल मृत्यु से मुक्ति, गृहस्थ जीवन सुखमय, धन की प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण, संतान सुख, शत्रु नाश, मोक्ष प्राप्ति और सभी मनोरथ पूर्ण होते ह्रै कुंडली में अशुभ ग्रह शान्त होते है। महाशिवरात्रि कालसर्पदोष, पितृदोष शान्ति का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। जिन व्यक्तियों को कालसर्पदोष है उन्हें आठ और नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता है।
राशि अनुसार करें अभिषेक:
मेष- शहद और गन्ने का रस
वृषभ- दुग्ध, दही
मिथुन- दूर्वा से
कर्क- दुग्ध, शहद
सिंह- शहद, गन्ने के रस
कन्या- दूर्वा एवं दही
तुला- दुग्ध, दही
वृश्चिक- गन्ने का रस, शहद, दुग्ध
धनु- दुग्ध, शहद
मकर- गंगा जल में गुड़ डालकर मीठा रस
कुंभ- दही
मीन- दुग्ध, शहद, गन्ने का रस
फल के अनुरूप करें पूजन:
वाहन सुख के लिए चमेली का फूल चढ़ाएं.
लक्ष्मी कृपा के लिए कमल का फूलए शमी पत्रों ए अखंडित चावल चढ़ाएं
विवाह के लिए जल में केसर बेला के फूल अर्पित करें. .
संतान प्राप्ति के लिए धतुरे का फूल , धतूरा चढ़ाएं
अपार अन्न-धन के लिए जूही के फूल
पद, सम्मान अगस्त्य के फूल
वस्त्र-आभूषण के लिए कनेर के फूल
लंबी आयु के लिए दुर्वाओं से शिव पूजन करें
सुख-शांति और मोक्ष के लिए सफेद कमल के फूल
बीमारियों रोग नाश के लिए जल में दूध और काले तिल
देश के सभी महाकाल मंदिर में 10 से शुरू होगा शिवरात्रि उत्सव हर मंदिर पर रहेगी शिवरात्रि की धूम |
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