पूरे ब्रम्हाण्ड काेे अपनी शक्ति से चलाने वाले पर कल होगा ग्रहण, इसी कारण से महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जी अपने ग्रन्थ मेें इसे अवनति कहा है। सूर्य की उपस्थित में कोई वायरस पनप नहीं पाता है। अत: शरीर में किसी भी संक्रमण से बचाने के लिये इस काल व्यापक वर्णन मिलता है।
सत्यम् लाइव, 20 जून 2020, दिल्ली।। 21 जून 2020 को इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण होगा। इस सूर्य ग्रहण के लिये ज्योतिष शास्त्र कहता है कि रविवार, अमावस्या और सूर्य ग्रहण इन तीनों का संयोग बडी मुशिकल से आता है परन्तु साथ ही राजधानी पंचाग के अनुसार इसके आकाशीय लक्षण जो होते हैं वो पक्षारम्भ शुक्रोदय के प्रभाव में इस सूर्य ग्रहण के कारण ऑधी-तूफान, मेघाडम्बर आदि आते रहेगें। रविवार को सूर्यग्रहण चूडामणि ग्रहण होता है जिसके कारण कई बार समुद्री तूफान आता है। इसके साथ ही आज मंदिरों के कपाट रात 10 बजकर 14 मिनट से सूतक काल शुरू होने के कारण बन्द कर दिये जायेगें। विक्रम संवत् 2077 शाके 1942, आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या, रविवार, दिनांक 21 जून 2020 को खंडग्रास सूर्य ग्रहण है जो चूड़ामणि योग युक्त है। यह भारत में देशभर में दिखाई देगा। भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व यूरोप, मध्य पूर्व के देशों, एशिया, इंडोनेशिया में दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाएगा। यह ग्रहण मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र पर, मिथुन राशि पर लगेगा। यह सूर्य ग्रहण का आरंभ काल दिन में 9 बजकर 16 मिनट से होगा तथा मोक्ष काल 3 बजकर 04 मिनट पर होगा, वैसे ग्रहण काल प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग दृश्य होता है। जैसे झारखंड की राजधानी रांची और उसके समीपवर्ती इलाके रविवार, 21 जून को दिन में 10 बजकर 35 मिनट से दिन में 2 बजकर 10 मिनट बजे तक ग्रहण रहेगा। यहॉ का सूतक काल शनिवार, दिनांक 20 जून को रात्रि 10 बजकर 20 मिनट से प्रारम्भ होगा। इस ग्रहण के कारण पृथ्वी पर अंधेरा हो जायेगा। साथ ही विश्व के लिए यह ग्रहण नेष्ठ कहा जा रहा है। यह माह सूर्य की गति मिथुन राशि पर होती है अत: यह ग्रहण मिथुन राशि पर विशेष प्रभाव डालेगा। सभी भोज्य पदार्थ में तुलसी की पत्ती डालने की विधि आयुर्वेद बताता है। गर्भवती माताओं को विशेष रूप से अपने शिशु का ध्यान रखना हेतु नकारात्मक शक्तियों से बचना होता है।
पूरे ब्रम्हाण्ड काेे अपनी शक्ति से चलाने वाले पर कल होगा ग्रहण, इसी कारण से महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जी अपने ग्रन्थ मेें इसे अवनति कहा है। सूर्य की उपस्थित में कोई वायरस पनप नहीं पाता है। अत: शरीर में किसी भी संक्रमण से बचाने के लिये इस काल व्यापक वर्णन मिलता है विशेषतया आपको इस बात की जानकारी देनी उचित होगी कि महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जी ने सूर्य सिद्धान्त नामक ग्रन्थ में 5वें अध्याय में सूर्य ग्रहण का वर्णन करते हुए अवनति कहा है जिसका स्पष्ट कारण समझ में आता है कि सूर्य की पूरे ब्रम्हाण्ड को ऊर्जा देता है जिसके कारण बडे से बडा वायरस समाप्त होता है और उसके सामने कोई अवक्षेप आ जाये तो अवनति ही कहना उचित होगा। अत: सभी से यही अनुरोध है कि आज के उपभोग वादी विज्ञान के कारण, हम सब अध्यात्मवादी विज्ञान को न विसारे ये अध्यात्मवादी विज्ञान ही है जिसने आज तक पूरा वर्णन सूर्य की गति पर दे पाया है।
सुनील शुक्ल
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