सत्यम् लाइव, 8 फरवरी 2021, दिल्ली।। मैं ये अक्सर कहता हूॅॅ कि प्रकृति अपने को स्वस्थ रखने का पूरा तरीका जानती है। बढते विकास का ये परिणाम कई बार आ चुका है परन्तु रविवार को फटने की घटना पर सभी ज्ञानी जन कह रहे है कि अपनी पर्यावरण से अलग होकर जब आप विकास करेगेंं तो अवश्य ही परिणाम घातक होगा। ऐसा ही अनिल प्रकाश जोशी, पर्यावरणविद ने पंजाब केसरी से अपने इंटरव्यू में कहा है पर्यावरण से छेड़छाड़ मंहगी पड़ रही है, उत्तराखंड के जिस स्थल पर पेड की एक पत्ती नहीं तोडने दी जाती हैै वहॉ पर पावर प्रोजेक्ट लगाये जाते हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में लोगों को रोटी बनाने के लिये लकडी लेना मुशिकल है उस क्षेत्र की ऐसी दशा होगी यदि पावर प्रोजेक्ट लगाये जायेगें। ज्ञात हुआ कि इस इलाक़े के दो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट लगाये जा रहे थे उनकाेे नुकसान पहुंचा है इनमें से एक है ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और दूसरा है तपोवन विष्णुगढ़ प्रोजेक्ट है। ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट की क्षमता 13.2 मेगावाट है, जबकि तपोवन प्रोजेक्ट की क्षमता 520 मेगावाट तक पहुंचाने की योजना पर काम चल रहा था। एनटीपीसी के प्रोजेक्ट तपोवन में है और यह फिलहाल निर्माणाधीन प्रोजेक्ट है। जबकि ऋषिगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को मिली थी। यह प्रोजेक्ट अलकनंदा की एक सहायक नदी, ऋषिगंगा पर बनाया गया है। इन दोनों की प्रोजेक्ट से डिजिटल इण्डिया को मजबूती मिलने वाली थी। डिजिटल होती दुनिया में एक पहली त्रासदी नहीं है इससे पहले भी आपको इस साल आये चक्रवात याद होगें। उसमें भी काफी बढा नुकसान डिजिटल हो चुका है। सभी जानकार ये मान रहे हैं कि ये पश्चिमी विकास जो भारत ने अपने सर पर अंग्रेजों के जमाने से लादे चला आ रहा है वहीं इस तरह की आपदायें लेकर आता है।
सुुनील शुक्ल
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