सत्यम् लाइव, 18 सितम्बर 2020, दिल्ली।। उत्तर प्रदेश सरकार के बी और सी कैटेगरी की नौकरियों की भर्ती में संविदा प्रक्रिया लागू की है जिसके तहत पर 5 साल तक आप नौकरी कर सकते हैं इसके पश्चात् आपको नौकरी से बाहर निकाला जा सकता है। इस नए प्रस्ताव के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती नहीं की जाएगी बल्कि पहले 5 साल तक कॉन्ट्रैक्ट पर काम करना होगा। इसके पश्चात् पुन: परीक्षा ली जायेगी यदि उत्तीर्ण कर पाये तो नौकरी नहीं रहेगी अन्यथा बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेेेगा। इस कारण से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्र का रोष एक बार फिर से सरकार के प्रति दिखने लगा है। छात्रों ने सरकार पर जमकर विरोध करते हुए आज फिर से सोशल मीडिया सहित सडक पर भी विरोध किया है। कई प्रतियोगी छात्रों ने जायज प्रश्न करते हुए कहा है कि जिसने सही मायने में नौकरी की तैयारी की होती है उसे ही पता चलता है कि उसके कितने साल पढाई की मेहनत की है जब भी नौकरी करके निश्चिन्ता के साथ जीवन यापन करने का समय आयेगा तब फिर से नौकरी का संकट हम सबके सामने आ जायेगा। इतनी ही मेहनत यदि करानी है तो विधायक और संसद बनने के लिये भी प्रतियोगी परीक्षा कराई जानी चाहिए। जिससे अगले पॉच साल के बाद यदि बाहर भी कर दिया जाये तो पेंशन से गुजारा होता रहे। किसी भी प्रदेश की सरकारें क्या नीतियॉ बनाती है ये सच में समझ से परे होता है परन्तु इतना अवश्य समझ में आता है कि एक भी नियम सोच समझ कर नहीं बनाये जाते हैं। बिना सोचे समझे ही आप इतना बडा निर्णय करने जा रहे हैंं और कहते हैं इससे भारत देश को बहुत फायदा होगा पिछले 72 सालों में सरकारों के एक भी नियम से भारत का किसान वर्ग कभी भी फायदें में नहीं गया है। परन्तु हर सरकार चिल्लाती है कि मेरे राज्य में बडी समृृद्धि आयी है? परन्तु जब सच्चाई देखने जाये तो ठीक उल्टा दिखाई देता है। भारत की दशा पर यदि किसान वर्ग समझे तो बताया जा सकता है कि ”उत्तम खेेेेती, मध्यम बान, करत चाकरी कुकर निदान”। परन्तु इस कहावत में पहले सरकार को विदेशी कम्पनी को बाहर करने का प्रस्ताव पास करना पडेगा और भारत के अर्थशास्त्र विषय में बदल करके, भारतीय अर्थशास्त्रीय चाणक्य को पढाना होगा। ये कार्य भारत की कोई सरकार तब तक नहीं कर सकती है जब तक कि भारत का दृढ संकल्पी एवं मजबूत सन्यासी भारत की जनता को भारतीय शास्त्र के आधार पर खडा नहीं करता है।
सुनील शुक्ल
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