सत्यम् लाइव, 23 दिसम्बर 2020, दिल्ली। किसान के आन्दोलन के दौरान आज सोशल मीडिया पर खूब याद आज चौधरी चरण सिंह जी की जा रही है। बात चौधरी साहब के सूक्ष्म परिचय से प्रारम्भ करते हैं। चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर 1902 तथा मृत्यु 29 मई 1987 को हुुई थी। भारत के पांचवें प्रधानमन्त्री के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने यह पद 29 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक सम्भाला।
आज सोशल मीडिया पर आज का दिन किसान दिवस के रूप में चौधरी साहब को खूब याद किया जा रहा है व्यक्तित्व के धनी चौधरी साहब गॉधीवादी नेता की भूमिका में प्रधानमंत्री के पद पर बैठने के साथ ही विदेशी कम्पनी को बाहर का रास्ता दिखाना प्रारम्भ कर दिया था कहते है कि इसी कारण से उनकी सरकार का गिरा दी गयी। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा पुन: जीवित करने का पूर्ण रूपेण प्रयास किया।
उनका कहना था कि जब तक किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी, तब तक देश की प्रगति संभव नहीं है। चौधरी चरण सिंह जी को किसानों के मसीहा कहा जाता है। भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी साहब, आजीवन किसानों की समस्याओं को आवाज़ देते रहे और उनके कल्याण के लिए काम करते रहे। देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा।
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चौधरी चरण सिंह चाहते थे कि देश के किसानों की आमदनी बढ़े, उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य मिले और किसानों का मान सम्मान सुरक्षित रहे लेकिन आज जिस प्रकार से किसान अपने व देश अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जिस तरह से आन्दोलन कर रहे हैं क्या वो देश को प्रगति के रास्ते पर पहुंचा सकता है? चौधरी चरण सिंह जी की विरासत कई जगह बंटी हुई आज जितनी भी जनता दल परिवार की पार्टियाँ हैं|
उड़ीसा में बीजू जनता दल हो या बिहार में राष्ट्रीय जनता दल हो या जनता दल यूनाएटेड ले लीजिए या ओमप्रकाश चौटाला का लोक दल , अजीत सिंह का ऱाष्ट्रीय लोक दल हो या मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी हो, ये सब चरण सिंह की विरासत हैं। फिर भी इतना ही कहा जा सकता है कि शास्त्री और चरण सिंह जैसा प्रधानमंत्री भारत को बडे भाग्य से मिलता है।
सुनील शुक्ल
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