हाथ-पैरों की देखभाल : राजीव दीक्षित

नई दिल्‍ली, एडियॉ फटती हों तो अरंडी का तेल, गुलाबजल का तेल, गुलाबजल तथा नीबूं का रस समान मात्रा में मिलाकर एडियों पर दिन में दो तीन बार मलें।

100 ग्राम सरसों के तेल में 25 ग्राम मोम डालकर ग र्म करें तथा एक उबाल आने के बाद उतारकर ठण्‍डा होने से पूर्व ही किसी चौडे मुॅह के पात्र में रख लें। इसे वैसलीन की तरह इस्‍तेमाल करें, त्‍वचा नहीं फटेगी। यदि फट रही हो तो ठीक हो जाएगी।

पैरों में गोखरू हों तो पीडित स्‍थान पर मेंहदी का गाढा लेप लगाकर पट्टी बॉध दें। दो-तीन घण्‍टे बाद इसे खोलकर घी दें। कुछ दिनों के अन्‍तराल पर कुछ ही बार यह प्रयोग करने से गट्टे समाप्‍त हो जाएंगे।

सर्दी के मौसम में या पानी में काम करने से हाथ-पैरों की त्‍वचा फटनी हो तो ग्‍िलसरीन में नींबू का रस मिलाकर मलना चाहिए।

नींबू के छिलके नाखूनों पर मलने से नाखून चमकदार होते हैं।

हथेलियों, कोहनी और एडियों का कालापन मिटाने और मैल हटाने के लिए नींबू के छिलकों को प्रभावित हिस्‍सों पर घिसकर गुनगुनें पानी से धोना चाहिए।

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रात को सोने से पहले नारियल का तेल गुनगुना करके बिवाइयों से लगाएं तथा मोजे पहनकर सो जाएं। सबेरे गर्म पानी से पैरों को 15 मिनट तक डुबोएं तथा किसी ब्रश से हल्‍के-हल्‍के रगडकर एडियॉ साफ करें। इसके उपरांत भीेगे पैरों को कपडे से सुखाकर कोई तैलीय चीज लगा लें।

एक चम्‍मच देशी मोम तथा एक चम्‍मच देशी घी गर्म करें। दोनों एकसार हो जाएं तो इस मिश्रण की गर्म-गर्म बूॅदें बिवाइयों में टपकाएं। यह प्रयोग प्रतिदिन तब तक करें जब तक बिवाइयों से छुटकारा न मिल जाए।

जैतून का तेल सहने योग्‍य गर्म करके नाखूनों को कुछ देर तक उसमें डुबोए रहिए। ऐसा कुछ दिनों तक करने से आपके नाखून मजबूत होगें।

ये लेख स्‍व. श्री राजीव दीक्षित की स्‍वदेशी चिकित्‍सा से लिया गया है

सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव

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