सत्यम् लाइव, दिल्ली | रामायण भारत की एक प्राचीन और पवित्र ग्रंथ है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन, आदर्शों और संघर्षों का विस्तृत वर्णन करती है। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, नैतिक और सामाजिक मार्गदर्शिका भी है। रामायण का प्रचार करना आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इसमें समाहित मूल्यों – जैसे सत्य, धर्म, सेवा, त्याग, और कर्तव्य – को अपनाकर समाज में नैतिकता और सदाचार की स्थापना की जा सकती है।
रामायण का प्रचार विविध माध्यमों से किया जा सकता है, जैसे – स्कूलों में रामायण पर आधारित कहानियों का पाठ, नाट्य प्रस्तुतियाँ (रामलीला), टीवी व रेडियो कार्यक्रम, डिजिटल मीडिया पर वीडियो और ऑडियो कंटेंट, तथा भाषण और संगोष्ठियों के ज़रिये। स्थानीय भाषा में रामायण के प्रसार से हर वर्ग के लोग इससे जुड़ सकते हैं।

बालकों में चरित्र निर्माण के लिए रामायण की कहानियाँ अत्यंत प्रेरणादायक हैं। इसमें आदर्श पुत्र, आदर्श राजा, आदर्श पत्नी, और आदर्श भाई जैसे विभिन्न रूपों में जीवन जीने की कला सिखाई गई है। भगवान राम का संयम, लक्ष्मण की निष्ठा, सीता का त्याग, और हनुमान की भक्ति – ये सब आज के समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
अतः रामायण का प्रचार करना केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों की रक्षा का माध्यम भी है। यदि हम रामायण के आदर्शों को प्रचारित करें और अपने जीवन में अपनाएँ, तो एक श्रेष्ठ और समरस समाज की स्थापना संभव है।
एक ब्राह्मण होने के नाते यही हमारा प्रयास है
संवाददाता – नीरज दुबे