विकास एनकाउंटर पर, सोशल मीडिया सहित जनता में भी सवाल

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द्वारा: सुनील शुक्‍ल

सत्‍यम् लाइव, 12 जुलाई 2020, दिल्‍ली।। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया पर लाखों तरह के सवालो की झडी लगी हुई है पूूूूरी घटना को समझकर सिर्फ भारत के पत्रकारों, लेखकों, विपक्ष सहित जनता ने भी प्रश्‍न खडे कर दिये हैं। नेताओं की बात तो समझी जा सकती है कि वो अपनी राजनीति के तहत् पर सवालिया प्रश्‍न खडे कर रहे हैं पर इस बार जो जनता के प्रश्‍न खडे हुए है वो आश्‍चर्य चकित कर देने वाले हैं। इस जनता को सत्‍ता पक्ष के लोग जाति और धर्म से जोडकर कह रहे हैं परन्‍तु वो भी राजनैतिक पार्टियॉ ही हैै जो इसको जाति और धर्म के नाम पर जोडकर कह रही हैं। परन्‍तु जब सत्‍यम् लाइव की टीम ने सामाजिक तौर पर और धरातल पर उतर पर पडताल की तो ज्ञात हुआ कि चार्टर्ड प्‍लेन के जरिए उज्‍जैन से ले जाने को कहा फिर अचानक सडक के रास्‍ते ले जाने की खबर आती है। इसके लिये यूपी एसटीएफ की टीम आ रही है। लेकिन फिर वो टीम भी नहीं आयी। शाम को झॉसी तक लाया गया और झॉसी से फिर गाडी से कानपुर की तरफ लगभग 10 गाडियॉ रवाना होती हैं। मीडिया इस काफिले के साथ लग जाती है बरसात तो प्रारम्‍भ हो जाती है कानपुर भौती में लगे बैरक से सिर्फ पुलिस की गाडी पार कराई जाती है सभी गाडियों के साथ, मीडिया की गाडी रूक ली जाती हैं और पुलिस की लगभग 10 गाडियो में सिर्फ उसी गाडी का एक्‍सीडेंट होता है जिस पर विकास सवार होता है। जनता के इतने सारे प्रश्‍नों के उतर न तो हमारी टीम के पास थे और शायद न ही किसी दूसरे के पास। उसी स्‍थल पर कुछ लोगों से जब एएनआई ने जानकारी ली तो लोगों ने यहॉ तक कहा कि कोई एक्‍सीडेन्‍ट की आवाज नहीं आयी, सिर्फ गोली चली है। सोशल मीडिया पर उस गाडी को लेकर, लोग मजाक उडा रहे हैं साथ ही सडक पर भी सरकार पर फितरे कस रहे हैं। गाडी में नहीं जायेगीं एक्‍सीडेन्‍ट हाेे जाती है का वीडियो वाइरल हो रहा है।

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कुमार विश्‍वास जी ने तो फिल्‍मी पटकथा का नाम दे डाला है। साथ ही लोगों का कहना है ये अवश्‍य होना चाहिए परन्‍तु तरीका ये ठीक नहीं है विश्‍वास समाप्‍त हो गया है इन लोगों से। यहॉ तक कहा जा रहा है। अब बढती तकनीकि तो सरकार ने लागू कर दी है पर उस तकनीकि के अनुसार योजना न बना पाने के कारण ही फिल्‍मी पटकथा कहा जा रहा हैै इतना बडा अपराधी हथकडी किसी भी फोटो में नहीं है। पुलिस उसे लेकर आ रही है लाठी तक हाथ में नहींं है, उसके साथ चल रही पुलिस उसे पकडेे तक नहीं है। जब गाडी पलट जाती है तो पुलिस के साथ होने पर भी फिल्‍मी स्‍टाइल में गाडी से विकास निकल जाता हैै और इतने बडे महकमे के बीच पिस्‍टल भी छीन लेता है और फायरिंग करने लगता है। फिर जांबाज सिपाही के हाथों मारा जाता है पोस्‍ट मार्डम रिपोर्ट के अनुसार एक गोली कमर पर और हाथ में और दो गोली छाती पर लगी हैं मतलब उल्‍टा भाग रहा था। इतने सारे प्रश्‍न अब जागरूक जनता भी करना जान गयी है। कल शिवली की जनता से इस विषय पर जानकारी ली तो ज्ञात हुआ कि ये तो होना ही था परन्‍तु तरीका गलत है जब पूछा गया कि आप लोगों को तो बहुत भय था तो जनता ने कहा कि पूरे गॉव सडक और पम्‍प समस्‍या भी समाप्‍त कराई है। जनता का कहना साफ था कि गलती की सजा आवश्‍यक है परन्‍तुु ये तरीका उचित नहीं है पूर्व अधिकारी जिन्‍हें भी इसी बात को दोहरा रहे हैं कि कई राज दफन हो गये।

इस बारे में, यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा था कि विकास से पूछताछ की जाए तो बड़े-बड़े लोगों के नाम सामने आएंगे। इसमें आई.ए.एस., आई.पी.एस., नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं। विकास का उज्जैन में पकड़ा जाना समझ से बाहर है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा ”जिसका शक था, वही हो हुआ विकास दुबे का किन-किन राजनीतिक लोगों, पुलिस अधिकारियों से संपर्क था, अब यह उजागर नहीं होगा। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लिखा था कि दरअसल कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है। अब जनता के प्रश्‍नों के उत्‍तर कौन देगा? अब क्‍या ये बाते राज ही रह जायेगीं? या वास्‍तव में समाज अपने को परिवर्तित करने को तैयार है ये तो समय के गर्त में भी छिपा हुआ है समय केे इन्‍तजार के सिवा कुछ भी नहीं कर सकता है कोई।

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