सत्यम् लाइव, 3 मई 2021, दिल्ली।। एक तरफ महॅगाई की मार है तो दूसरी तरफ स्वस्थ रहने की मुख्य समस्या। जब एलोपैथी चिकित्सा ने अपना माया जाल फैलाता जा रहा है तब स्वस्थ रहने की समस्या एक मुख्य समस्या हो जाती है एलोपैथी की दवाईयाॅ भारत भूमि के अनुकूल नहीं है और एलोपैथी की दवाईयों के कारण ही, साइड इफैक्टस लगातार बढ़ रहे हैं। अतः सभी से अनुरोध करते हुए कहता हूॅ कि आप ‘‘स्वयं को जानों और भोजन को पहचानो।‘‘ वाली महर्षि राजीव दीक्षित की कहावत को अपना लो और अपनी चिकित्सा अपनी रसोई से प्रारम्भ करो क्योंकि आहार भेषज है अर्थात् भोजन की औषधि है।
आपदा में अवसर अब यदि खोजना ही है तो भारतीय शास्त्रों के आधार पर खोजें, इस महामारी ने और ज्यादा लोगों को बीमार किया होता यदि आज योग, प्राणायाम जन जन तक न पहॅचाया गया होता। आज प्राणायाम योग की बदौलत ही लोगों में अखण्ड विश्वास है कि कोई वायरस नहीं छू सकता है और ये सच भी है कि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है
घरेलू उपाय में तो सबसे पहले सूर्य उदय से पहले प्रातःकाल आपको उठना है और फिर निवृत्त होकर सर्वप्रथम स्नान करना है जिससे समस्त चक्रो की उष्मा आपके मूलाधार चक्र में समाहित हो जाये। फिर आपको अपनी पूजा अर्चना करनी है जिसमें ये आवश्यक है कि आप देशी गाय के गोबर की धूपबत्ती या कण्डा जलायें। अगर सम्भव हो तो देशी गाय के घी का दीपक या फिर कण्डा और घी से हवन करें। देशी गाय के घी का दीपक जलाने से 1000 टन ऑक्सीजन उत्पन्न होती है। आपके घर में जितने वायरस होगें वो सब शुद्ध वायु से ही मरे जायेगें। आप अपनी चिन्ता का त्याग करें क्योंकि बसन्त ऋतु के वैशाखा में पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है अतः पालनहार का सहयोग भगवान भास्कर का रूप रखकर प्रतिदिन आपके साथ रहता है। भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाई जाती है साथ में अदरक और काली मिर्च का मिश्रण आप अपने भोजन में कर लें। यदि तुलसी दल की व्यवस्था न हो तो लोकल कम्पनी का तुलसी अर्क बाजार पर उपलब्ध है।
पूजा में ही प्राणायाम में भस्त्रीका लगभग 5 मिनट, और अनुलोम विलोम 10 से 15 मिनट अवश्य करें और ध्यान के माध्यम से श्वाॅस को नियंत्रित करें। मन को एकाग्र करके बताये कि आपके इष्टदेव आपके साथ है और कोई भी वायरस आपको छू नहीं सकता है। ध्यान के माध्यम से मन आस्था जगाई जाती है यही आस्था विश्वास बनकर आपको विपदा के समय बचने का उपाय याद कराती है अतः अपना विश्वास अवश्य जगायें।
जो पूजा न कर सके वो कम से कम 15 मिनट ताड़ासन, सूर्य नमस्कार अवश्य करे। इससे उसके फेफड़े मजबूत होगें और जो पसीना निकलेगा उससे शरीर में प्रवेश करने वाले कीटाणु अर्थात् वायरस स्वतः की मर जायेगें। पानी सदैव ही गर्म करके ही पियें।
सुनील शुक्ल
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