सत्यम् लाइव, 22 जून 2021, दिल्ली।। देश की 41 ऑर्डिनेंस फैक्टरियों को पहले तो सात कंपनियों में बांट दिया गया है अब उनके अस्तित्व को खतरा साफ दिखाई दे रहा है और ये कारण मात्र सरकारी संस्थानों द्वारा ऑर्डर न देने की वजह से है। 2018 में 17 हजार करोड़ रुपए का उत्पादन करने के बाद इनके पास जब ऑर्डर ही नहीं दिए गये तभी तो उत्पादन घटकर 12 हजार करोड़ रुपए का ही रह गया है।
ये आयुध कारखानें ही हैं जो कारगिल युद्ध हो या भारत.पाकिस्तान युद्ध, बांग्लादेश की मुक्ति के लिये किया गया संग्राम हो या फिर लद्दाख में सेना को मजबूत करने वाले कारखाने रहे हैं। वित्तमंत्री ने कहा था कि ऑर्डिनेंस फैक्टरियां सूचीबद्ध होंगी। साथ में ये भी कहा कि निगमीकरण के बाद भी आर्डिनेंस फैक्टरियां 100 फीसदी सरकार के अधीन रहेंगी।
कानपुर में आयुध कर्मचारियों ने के निगमीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया, सिर पर काली पट्टी बांधकर, काले झंडे लेकर केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध जताया। इस आयुध निर्माण में कार्यरत 70,000 कर्मचारी हैं जिनको इस निर्णय से नुकसान हो सकता है। उस पर भी ये रक्षा विभाग है। यहां पर तोप, गोले, मशीन गन और अत्याधुनिक हथियार देश की सेनाओं की ताकत को हमेशा बढ़ाते आए हैं ऐसे में आर्डिनेंस फैक्टरियों का निगमीकरण किया जाना बेहद घातक कदम होगा। सरकार का यह फैसला गलत है और इस फैसले को वापस लिया जाना चाहिए।
सुनील शुक्ल
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