एक ऐसा देश जहां पर है विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है लेकिन वहां कोई हिन्दू नहीं है। यह एक ऐसा देश जिसके फ्लैग का चिन्ह भी हिन्दुओं का एक मंदिर है।
यह बात किसी से छुपी नही है कि हिन्दू धर्म विश्व का एकमात्र धर्म है, जो सबसे प्राचीन है। यह धर्म 12 हजार वर्ष से भी पुराना है। हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा और ध्यान पर विशेष जोर दिया जाता है। इस बात के कई सबूत पेश किये जाते हैं कि विश्व के कई देशों में पहले सनातन धर्म ही था।
अंकोरवाट मंदिर विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है और यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है जो कम्बोडिया देश के अंकोर में है जो सिमरिप शहर में मीकांग नदी के किनारे बसा हुआ है तथा इसका फैलाव सेकड़ो वर्ग मील में है। यह हिन्दू देवता विष्णु का मंदिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासको ने यहाँ बड़े-बड़े शिव के मंदिरो का निर्माण करवाया था। इसका पुराना नाम यशोधपुर था व इस मंदिर का निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन काल 1112 से 1153 ईस्वी के दौरान बनवाया गया था। इस मंदिर के चित्र को कम्बोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में छापा गया है। यह दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। इसको यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो हिन्दुओं के आराध्य देव हैं। इंडोनेशिया के निवासी इसे पानी में डुबा हुआ मंदिर का बगीचा कहते हैं।
परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस देश में विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है जहाँ 100 फीसदी लोग हिन्दू धर्म को मानते थे तो आज वहां से हिन्दू कहाँ गायब हो गये है? कम्बोडिया देश जहाँ विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर तो है लेकिन वहां कोई हिन्दू लोग क्यों नहीं है? इतिहास के अनुसार लिखा गया है कि लोगों ने दूसरे धर्मों को अपना लिया है। आज इस देश में गिनती के ही हिन्दू बचे हुए हैं लेकिन विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर यही है।
कंबोडिया दक्षिण पूर्व एशिया का प्रमुख देश है, जिसकी जनसँख्या करीब 1.5 करोड़ है। पुर्वी एशिया में पहले भी 5 हजार से लेकर 1 हजार वर्ष तक के पुराने मंदिरों की खोज की जा चुकी है, जिससे भारत की प्राचीन वैभवशाली संस्कृति की झलक मिलती रही है। इन मंदिरों में अधिकतर मंदिर भगवान विष्णु के हैं। वैज्ञानिकों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि कई हजार साल में समुद्र का जलस्तर करीब 500 मीटर बढ़ा है। इससे साबित होता है कि राम-सेतु, द्वारका नगरी सरीखे स्थान आज भी मौजूद हैं और इनसे जुड़े पात्र भी सच हैं।
कहा जाता है की सालों पहले इस देश में हिन्दू धर्म का बोल बाला था। प्राचीन समय में इस देश का नाम कंबुज या कंबोज था जो एक संस्कृत नाम था। कंबोज की प्राचीन दंतकथाओं के अनुसार इस उपनिवेश की नींव आर्यदेश के राजा कंबु स्वयांभुव ने डाली थी। वह भगवान शिव की प्रेरणा से कंबोज देश में आए और यहाँ बसी हुई नाग जाति के राजा की सहायता से उन्होंने इस जंगली मरुस्थल में एक नया राज्य बसाया जो नागराज की अद्भुत जादूगरी से हरे भरे, सुंदर प्रदेश में परिणत हो गया था। कंबु ने नागराज की कन्या से विवाह कर लिया और कंबुज राजवंश की नींव डाली थी। परन्तु बाद में यहाँ पर विदेशी लोगों की नजर आई और उन्होंने यहाँ के हिन्दू लोगों का धर्म परिवर्तन तलवार के दम पर करा दिया। आज भी यह लोग दिल से खुद को हिन्दू ही मानते हैं।
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